उसने कल रात बिस्तर पर
मुझसे कहा था -बाबू ,
अब पहले जैसा प्यार नहीं है
तुम्हारी बातों और आँखों में
तुम तो बहुत क्रांति का झंडा
लगाये फिरते थे अपने सीने पे
आग लग जाती थी कानों में
शोले बरसते थे आँखों से
अब तुम्हे क्या हो गया ?
तब बस स्खलित होते यही कहा था
अब मैं नेता बन गया हूँ
केदार नाथ "कादर"
केदार नाथ "कादर"
wah ji wah!
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