परेशान ये जमीं है
ये परेशान रौशनी है
आशाओं के रफ्ता -रफ्ता
ढूँढते खुशियाँ हथेलियों में
गिनकर गणित दुखी हैं
खुशियों की चाह में सब
रोते रहे हैं रफ्ता-रफ्ता
सपनों में सहारों को
तूफ़ान में किनारों को
सब चाहते हैं ज़ल्दी
वो मिलते हैं रफ्ता -रफ्ता
देखो उदासी अकेली है
आओ हम गले लगायें
दो दिल उदास मिलकर
हँसते हैं रफ्ता -रफ्ता
-Kedarnath “kadar”
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