Total Pageviews

18,242

Saturday, 25 June 2011




औरों के लिए
मैंने हर लफ्ज़ लिखा जिसके लिए
वो मचलता रहा ताउम्र औरों के लिए

मैं समझता रहा छाई घटा मेरे लिए
खिला वो गुल था सिर्फ भौरों के लिए

मेरा बज़ूद ख़ाक हुआ जिसके लिए
वो रहा पढता कसीदे गैरों के लिए

मेरे मरने के बाद मेरी कब्र पे लिखना
"कादर" जिया ये जिंदगी औरों के लिए


kedar nath “kadar”

No comments:

Post a Comment