Total Pageviews

18,281

Monday, 6 June 2011

माचिस-मानुष





जलते जलते ईर्ष्या से


पहुंचा मौत के घाट


माचिस देख कहने लगी


क्या आया तेरे हाथ ?



झूठ,भोग,माया, अगन


रही जनम भर साथ


खाया पिया मल किया


अब जलता ज्यूँ काठ



मैं माचिस तुझसे भली


हूँ मैं अगन प्रकाश


जीवन सार्थक कर चली


जला के दीपक चार



सीखन को चहुँ ओर है


जो कोई सीखन चाह


लघु को लघु न जानिये


जो जीवन की चाह










No comments:

Post a Comment