क्यूँ पूछते हो तुम उसके जाने के बाद की
जिन्दा रहा यूँ जैसे कोई जिंदगी न हो
कहता रहा सुनता रहा सबके ही दिलों की
सूना रहा ये दिल मेरा ज्यूँ बसा न हो
कितना है शोर कितना हैं अँधेरा चारों ओर
अब भी वहीँ खड़ा हूँ ज्यूँ सुबह हुई न हो
गुन्चे वही, गलियाँ वही, सब कुछ वही तो है
कुछ भी नहीं है लेकिन गर वही न हो
उकता गया है दिल मेरा महफ़िलों से अब
क्या बचा है "कादर" जो दिल में शमां न हो
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