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Tuesday, 28 December 2010

मौत

किस से बचना चाहते हो

क्या तुम्हारी हस्ती है ?

मौत का साथ पक्का

जिंदगी तो छलती है

चल चलाचल दूर तक

इस से न मंजिल मिलती है

ख़तम होगा न ये सफ़र

मौत बस रास्ता बदलती है

केदारनाथ"कादर"

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