जब तलक फिर से लहू बहाया न जायेगा
मुल्क मेरा बरबादियों से बचाया न जायेगा
किससे से करें शिकवा शिकायत सब हैं चुप
बिन शोर नाखुदाओं को जगाया न जायेगा
बिगड़े हुए हैं मेरे मुल्क के हालत दोस्तों
हमसे क्या इक इन्कलाब लाया न जायेगा
खुदगर्ज़ रहबरों की है बारात मेरे मुल्क में
फ़र्ज़ का सलीका इनको सिखाया न जायेगा
जब तक सुकून से नहीं मुल्क का हर शख्स
सोने का फ़र्ज़ "कादर" निभाया न जायेगा
केदार नाथ "कादर"
desh ke prati ek tadaf ..
ReplyDeletejanmanas ko jagane aur jhakjhorne ka kam kar rahi hai apki rachna .