बड़ा इंसान बनता है बता ए खाक के पुतले ?
किया क्या खाक तूने, बस जीवन गंवाया है ?
कभी रोया है क्या उसकी इबादत में तू कह ?
शरीके -दर्द- दिल हो क्या किसी का दिल बंटाया है ?
कभी दिल तेरा भर आया है मुफलिस की गरीबी पर ?
कभी हिस्से का खाना बांटकर क्या तूने खाया है ?
मरने को आमादा है हरदम मेरे नाम पर तू क्यों ?
मुसीबत में क्या किसी आफतजदा के काम आया है ?
मेरी राह में छोड़ा है तूने, क्या बता तू कह ?
किसी बेकस की खातिर जान पर सदमा उठाया है ?
मुझे पाना बहुत आसान है सब में देख तू मुझको
इबादत का सलीका आदम तुझे फिर ये बताया है ?
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