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Tuesday, 28 December 2010

बड़ा इंसान बनता है बता ए खाक के पुतले


बड़ा इंसान बनता है बता ए खाक के पुतले ?

किया क्या खाक तूने, बस जीवन गंवाया है ?

कभी रोया है क्या उसकी इबादत में तू कह ?

शरीके -दर्द- दिल हो क्या किसी का दिल बंटाया है ?

कभी दिल तेरा भर आया है मुफलिस की गरीबी पर ?

कभी हिस्से का खाना बांटकर क्या तूने खाया है ?

मरने को आमादा है हरदम मेरे नाम पर तू क्यों ?

मुसीबत में क्या किसी आफतजदा के काम आया है ?

मेरी राह में छोड़ा है तूने, क्या बता तू कह ?

किसी बेकस की खातिर जान पर सदमा उठाया है ?

मुझे पाना बहुत आसान है सब में देख तू मुझको

इबादत का सलीका आदम तुझे फिर ये बताया है ?

केदारनाथ"कादर"

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