जब जगना के साथ रमिया
अफसर बाबू के दफ्तर गयी थी
तब रमिया का चेरा ढँका हुआ था
जगना को बाबू ने "हाँ" कह दिया था
जगना को मछली पालन के लिए
सरकारी अनुदान की दरकार थी
बाबू ने रमिया को घूरते हुए कहा था
मछलियों की बदबू आती है तुमसे
कई चक्कर लगाने के बाद ही
उन्नत मछली बीज मिलना तय हुआ
रामियाँ के बार बार बाबू से मिलने पर
अफसर बाबू को मछली बास भा गयी
गरीब रमिया बाबू के बिसतर पे
और तालाब में मछलियाँ आ गयीं
अब अफसर बाबू मछलीमार हैं
मछलियाँ शासन की शिकार हैं
No comments:
Post a Comment