दोस्तों ,
आज कल हर अख़बार और न्यूज चैनल पर खबर सुनने को मिल जाती है कि हरियाणा के फलां गाँव में प्रेमी जोड़ो को मार दिया या फलां रेलवे स्टेशन पर प्रेमी जोड़े ने आत्म हत्या कर ली. फलां गावं के लोगों कि शादी पंचायत ने तुडवा दी अब वो भाई बहन हैं उनके बच्चे भी थे, अब ये प्रश्न उठने स्वाभाविक हैं कि मनुष्य की खातिर व्यवस्थाएं हैं या व्यवस्थाओं पर बलि होने के लिए मनुष्य है. मेरा मानना है की बंधन होने चाहिए समाज को बांधे रखने के लिए , लेकिन समाज को भी ये मंथन करना चाहिए की वे बंधन कितने जरुरी हैं, क्या जीवन से ज्यादा जरुरी हैं ये बंधन, ये जाति, ये गोत्र . मुझे इंतजार रहेगा आपके विचारों का.
इज्ज़त की खातिर मौतों का नया चला व्यापार
मन चाहे जीवन साथी को चुनने का अधिकार
इसी देश की रीत रही है स्वयंवर जीवन सार
रोको इन मानव- बलियों को प्रेमी करें पुकार
मानव की जाती मानव है तज दो वर्ण विचार
शादी के बंधन अनचाहे, उतरें कभी न पार
मातपिता का फ़र्ज़ निभाओ करो न कोई रार
सबसे बड़ा पुण्य प्रेम है ये ही जीवन का सार
प्रेम पे न कोई बांध बनाओ, पुनः करो विचार
प्रेम बीज गर पनप रहे हैं सहज करो स्वीकार
बंधन समाज के ढीले कर दो प्रेमी करें पुकार
खुश न हों जब अपने फ़ूल ही बगिया है बेकार
उनके सपने, उनकी राहें, उनका है अपना प्यार
जाति गोत्र सब हमने गढे, सोचो करो विचार
समयानुसार सत्य भी बदले कहते ग्रन्थ पुकार
प्रेमियों की राह बुहारो "कादर" ये हैं प्रेमावतार
केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com
मित्रो, मैंने पाया है की यहाँ पर आनर किल्लिंग पर एक सार्थक चर्चा हो रही है.
ReplyDeleteमैंने इस विषय पर एक शोधपरक लेख लिखा है.
आप इसे मुझे मेल करके प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि यहाँ उस पीडीऍफ़ फाइल को अपलोड कर पाना संभव नहीं है.
मनोज.शर्मा.डॉक्टर@जीमेल.कॉम
उक्त address पर संपर्क करें तथा लेख पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य भेजें.
-डॉ. मनोज
अम्बाला