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Thursday, 15 July 2010

ख़ुदकुशी- जीवन

हाँ मैं ख़ुदकुशी नहीं करूँगा
मैं मुश्किलों से नहीं डरूंगा
मैं भागूँगा , गिरूंगा, फिस्लूँगा
पाने जिंदगी की हर साँस
मौत को अंतिम मित्र मान
सदैव रखता उसका ध्यान
हर रोज़ देखता होकर खुश
प्रतिपल प्रतिदिन आते पास
जीता हूँ हर पल जीवन का
पूरा जैसा भी मिला मुझे
मैं जनता हूँ छोड़ना ही है
इसलिए भोगता हूँ आनंदित
बिना किसी झूठे प्रपंच के
सत्यान्वेषण और सहने की
प्रक्रिया करती जीवन निर्माण
मैं इसलिए सदैव तत्पर हूँ
लड़ने के लिए समुद्र से
तुफानो से कठिनाइयों से
यही तो है जीवन पड़ाव
हम मानते सब हैं लेकिन
जानना जाने कब सीखेंगे
खाने की किताब से सुख नहीं
मिलता है पकाकर उसे खाने से
इसलिए जियो जिंदगी खुलकर
बाहें खोलकर आलिंगन करने
"कादर" अंतिम सत्य मौत का

केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com

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