खाली हंडिया में भूख पक रही है
बच्चों की आँखें चमक रही हैं
सरकारी वादे आ रहे हैं रोज़
अख़बारों में, रेडिओ पर, ख़बरों में
मां बाप डरते हैं बच्चों से, चूल्हा जलाते
कब तक वो खाली हंडिया हिलाएं
भूखे बच्चों को बहकाकर सुलाएं
भूख का भस्मासुर -
रोज ताल ठोककर चढ़ जाता है
हमारी इज्ज़त के ऊपर-
और हम खड़े रहते हैं मजबूर
बच्चों के सामने निर्वस्त्र से
कोई है जो ले सके-
हमारे हिस्से की भूख
हमारे हिस्से की निर्लज्जता
हमारे हिस्से का नंगापन
उनको चाहिए बस एक अंगूठा
हमारा उनके चुनाव चिन्ह पर
केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com
क्या विडंबना है...
ReplyDeleteक्या इस परिस्थिति के लिए हम जरा सा भी ज़िम्मेवार नहीं हैं ??
ReplyDeleteहमें अपने अंदर के इंसान को जगाना पड़ेगा !