लोग कहते हैं दर्द है, ये तो चला जायेगा
दिल में है लहू सा ये, न जाने कहाँ जायेगा
किन हदों की हो बात करते, ये हदें हैं क्या
दर्द बेहद है सीने में , ये हदों में न बंध पायेगा
हम तो शरमाते थे आने से भी तेरी गली में
अब तेरे आने से ही दिल मेरा ये टूट जायेगा
तुझे छिपा के रखा था मैंने , दिल के तालों में
तेरे खतों से न ये दिल बेचारा बहल पायेगा
अश्कों की झड़ी है, सेहरे सी आँखों में सजी
खाक होंगे मुस्कुराते हम, वो न समझ पायेगा
इश्क हमने किया, खताबार हैं हम ही "कादर"
क़त्ल हम हुए हैं, इल्जाम भी हम पे आएगा
केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com
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