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Sunday, 11 July 2010

तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा
ये धरती सुलगती, तेरी रहमत के बिना
तू ही मालिक विधाता, तेरा ही सारा जहां
भूख से मरते क्यूँ तेरे बन्दे, ये बता
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

तूने ही बख्शी थी,स्वर्ग सी हमको जमीं
गोलियां हैं खून है, रोज़ ही मातम यहाँ
चंद सिक्कों की खातिर, बिका उनका इमां
अब वहां पर नमाजों की जमाते हैं कहाँ
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

तेरा कहर ये नाजिल किस तरह हुआ
है कहीं सैलाब, नहीं कहीं कतरा यहाँ
मर गए प्यासे कहीं , कहीं दरिया बना
कर रहा है क्या तू मौला, कुछ तो बता
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

उजड़े घर यहाँ लाखों, तेरे तूफान से
बन्दे शैतान हो गए तेरे, ईमान से
नन्ही कलियों पर हवस हाबी हुई
बन गया बन्दा तेरा, कैसे हैवान सा
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

मंदिर नहीं, मस्जिद नहीं, गिरजा नहीं
अब तेरे गुरुद्वारे भी यहाँ बाकि नहीं
कुदरती काबा भीतेरा अब बिकने लगा
हर जगह पे पसरा जुर्म का साया यहाँ
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

जितने भी तेरे रूप हैं सब में तू आ
राम, हजरत,जीसस या नानक बनके आ
जो भी बनना है बनके , जल्दी से आ
तेरे बन्दों का अब तो अकीदा उठ चला
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा

तस्वीर धुधली हो रही रहमत की तेरी
अब लगा न फरियाद तू सुनने में देरी
अब ये जीवन लगने लगा है इक सजा
जल्दी आ जल्दी आ, बस यही इल्तजा
तू बता है कहाँ, है कहाँ तू मेरे खुदा


केदारनाथ "कादर"
kedarrcftkj.blogspot.com

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