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Thursday, 15 July 2010

तेरे बगैर

जिंदगी तेरे बगैर होगी हमसे बसर नहीं
मेरी जाँ मंजिल अकेले होगी ये सर नहीं

जमाना ज़ालिम बड़ा है, ये है खबर हमें
हम भी है पक्के आशिक उसे खबर नहीं

रखते हैं शौक़ आग से खेलने का हम
ये इश्क का मैदान है खाला का घर नहीं

क्यूँ मारने तुले हो इंसानियत को तुम
ये प्यार जिंदगी है क्या तुम्हे खबर नहीं

लेखा वहां होगा इश्के अज़िमें गुनाह का
जैसा यहाँ हाल है "कादर" वैसा उधर नहीं

केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com

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