Total Pageviews

Thursday, 15 July 2010

अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे

सोचते हैं जब जाओगे तब क्या करेंगे
अब तलक था योग आँखों का मन का
कैसे कर पाएंगे तुमको जुदा हम खुदसे
अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे

आंसू झरेंगे बहुत फूल बन याद में तेरी
हम मानकर सौगात तेरी इन्हें खुश रहेंगे
चाहे कितने भी दूर अब तुम हो गए हो
अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे

तुम न रोना कभी भी याद में हमारी
तुम कहो दूर हैं, ये तो हम सह न सकेंगे
दूर हो कहाँ मेरे इस जीवन सफ़र में
अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे

तुम अब तुम न रहे, न हम, हम ही रहे
एक धरती एक अम्बर, एक ही हम रहेंगे
तुम जीवन आराध्य प्रेम के मेरे लिए हो
अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे


केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com

No comments:

Post a Comment