याद
याद उसकी दिल को जब जब आती है
खुशबू उसकी फजाओं में बिखर जाती है
जाते जाते मेरी आवाज़ ठहर जाती है
याद आता है अहसास जुदाई का मुझे
उसी लम्हे कयामत सी गुजर जाती है
क्या करूँ दिल था डूबा तो उभर न सका
वर्ना लोहे की कश्ती भी उभर जाती है
देख भर ले कभी उठा कर पर्दा "कादर"
कहते हैं नज़रों से तकदीर संवर जाती है
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