Total Pageviews

Wednesday 15 September 2010

अंगूठा

तुम मुझे वोटर कहकर
गाली न दो मतदाता को
मैं तुम पर गुस्सा नहीं करूँगा
मुझे तुम पर दया आती है
तुम निर्वसन हो चुके हो
तुम्हारी उगाई घृणा घास पर
जल्द ही तेजाब बरसने वाला है
इसलिए-
मैं तुम्हारे अन्याय और दमन को
इस जगह से मिटाने के लिए
सोच रहा हूँ बनूँ फिर गोडसे
लेकिन तुम महात्मा नहीं हो
इसलिए मैं मारूँगा तुम्हें
डुबोकर, भरे हुए मूत्रताल में
उसी वोटर के जिसे तुम
समझते हो शोभा पलंग की
बस अंगूठा लगाने के बाद


केदार नाथ "कादर"
http://kedarrcftkj.blogspot.com

No comments:

Post a Comment