अज़ब शातिर शिकारी सी, कातिल हैं तेरी आँखें
मिलते ही हमारी धड़कने, बढाती हैं तेरी आँखें
न कोई जोर शक्लों का, गज़ब चुम्बक तेरी आँखें
ये दिल को खींच लेती हैं, बड़ी प्यारी तेरी आँखें
कभी चुपचाप रहती हैं, कभी वाचाल तेरी आँखें
हजारों ख्वाव देती हैं , बड़ी रंगीन हैं तेरी आँखें
मुझे सोने नहीं देती, नींदें चुराती हैं तेरी आँखें
बड़ी खामोश लगती हैं, गज़ब चंचल तेरी आँखें
मुहब्बत करने वालों को "कादर" नियामत हैं आँखें
जो तुम कह भी नहीं पाते, सब बताती हैं तेरी आँखें
केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com
बहुत खूबसूरत लगीं ये आँखें ...खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteBahut bahut aabhar aapka sangeeta ji.
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