Total Pageviews

Friday, 15 April 2011

तेरी आँखें




अज़ब शातिर शिकारी सी, कातिल हैं तेरी आँखें


मिलते ही हमारी धड़कने, बढाती हैं तेरी आँखें






न कोई जोर शक्लों का, गज़ब चुम्बक तेरी आँखें


ये दिल को खींच लेती हैं, बड़ी प्यारी तेरी आँखें






कभी चुपचाप रहती हैं, कभी वाचाल तेरी आँखें


हजारों ख्वाव देती हैं , बड़ी रंगीन हैं तेरी आँखें






मुझे सोने नहीं देती, नींदें चुराती हैं तेरी आँखें


बड़ी खामोश लगती हैं, गज़ब चंचल तेरी आँखें






मुहब्बत करने वालों को "कादर" नियामत हैं आँखें


जो तुम कह भी नहीं पाते, सब बताती हैं तेरी आँखें






केदारनाथ"कादर"


kedarrcftkj.blogspot .com

2 comments:

  1. बहुत खूबसूरत लगीं ये आँखें ...खूबसूरत गज़ल

    ReplyDelete