केदार नाथ शब्द मसीहा
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Monday, 25 April 2011
लोग
अक्सर पढ़े लिखे लोग चिल्लाते हैं
कभी राजनीति पर, कभी धर्म पर
लिखते हैं बड़ी-बड़ी इबारतें काली
सफ़ेद पन्नो पर सच- झूठ रोज़ ही
चिल्लाते हैं बेहतर समाज के लिए
पर मेरा सत्य अनुभव कहता है
अनपढ़ लोग बेहतर हैं पढ़े लिखों से
वे सांप्रदायिक-राजनैतिक नहीं होते
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