आज कल बड़ी चर्चा है समिति गठन की
हर एक चाहता है उसका भी प्रतिनिधि हो
एक स्वर्ण हो, एक दलित हो, एक स्त्री हो
समाज का हर तबका हो, एक पुरुष भी
अब एक मांग और आई है अभी ताज़ी
समिति में अपराधियों का प्रतिनिधि भी हो
मैं पूछता हूँ ? क्या किसी समिति में भी
जनता का कोई प्रतिनिधि कभी होता है ?
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