Total Pageviews

Sunday, 27 June 2010

"संसद तमाशा "

संसद का तमाशा तुम करवाते हो
तुम पलते हो पांच साल तक मुस्टंडे
जो दिखाते हैं संसद में अनाचार
करते हैं दुष्कर्म -तुम्हारी भावनाओं से
तुम्हारे हक़ का हर विधेयक
वेश्यालय की मजबूर रंडी पर
उछाले गए रुपयों की तरह है
जहाँ सरकार तुम्हारी आँख के सामने
एक एक कपडे उतारकर तुम्हारे
खुद को तैयार करती है
तुम्हारे साथ दुष्कर्म करने को
तुमे ही तो चुना है अय्यासी के लिए
जो करेगी तुम्हारे पूरे जीवन काल तक
तुम्हारी अंतर आत्मा का बलात्कार
सदन की बेशर्म कार्यवाही की तरह
तुम्हें चारों खाने चित्त नंगा लिटाकर
तुम्हारे पोर पोर सुख को सोखती है
और तुम बेचारे कुत्ते से , जीभ निकालकर
बस करते हो इंतजार पांच साल
एक नए नेता से बलात्कार का

केदारनाथ "कादर"
kedarrcftkj.blogspot.com

No comments:

Post a Comment