बदल नहीं सकती
माना हमने दर्द की शाम ये ढल नहीं सकती
जलाकर दिल क्या किस्मत बदल नहीं सकती
वो जो कहते थे अक्सर "बेवफा" मुझको
उनकी क्या आदत ये बदल नहीं सकती
ये बात और है लिखा है किस्मत में डूबना
कोशिशों से क्या इबारत ये बदल नहीं सकती
माना मुश्किल है ठहरना मेरी मौत का यारो
उनके आगोश में क्या मौत ढल नहीं सकती
हमने चाहा है जिसे अपनी रूह की मानिंद
बेवफा "कादर" चुरा नज़रें निकल नहीं सकती
केदारनाथ "कादर"
kedarrcftkj.blogspot.com
ek achchhi rachana ke liye shukriya.........likhte rahiye taki ham padhte rahe.....abhaar
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