Total Pageviews

Monday, 21 June 2010

सदा ए वक़्त

जब तलक फिर से लहू बहाया न जायेगा
मुल्क बरबादियों से बचाया न जायेगा

किससे करें शिकायत, शिकवा, सब हैं चुप
बिन शोर नाखुदाओं को जगाया न जायेगा

माना हैं बिगड़े मुल्क के मेरे हालात दोस्तों
क्या एक नया इन्कलाब लाया न जायेगा

खुदगर्ज़ रहबरों की है बारात मुल्क में
क्या फ़र्ज़ का सलीका सिखाया न जायेगा

जब तक सुकून से नहीं मुल्क का हर शख्स
सोने का फ़र्ज़ "कादर" निभाया न जायेगा

केदारनाथ" कादर"
kedarrcfdelhi.blogspot .com
(published)

5 comments:

  1. ab lahu bahane ki bat theek nahi lagt. lahu to roj bahta hai, sadion se bah raha hai.

    ReplyDelete
  2. उत्‍तमं काव्‍यम् ।।


    धन्‍यवादार्ह:

    ReplyDelete
  3. माना हैं बिगड़े मुल्क के मेरे हालात दोस्तों
    क्या एक नया इन्कलाब लाया न जायेगा

    खुदगर्ज़ रहबरों की है बारात मुल्क में
    क्या फ़र्ज़ का सलीका सिखाया न जायेगा
    लाजवाब बधाई

    ReplyDelete
  4. शेर उम्दा गजल उम्दा, कहने की-सुनने की अदा उम्दा
    अशआर उम्दा सुखन उम्दा, अंदाज सधा , सादा, उम्दा ||

    ReplyDelete
  5. kedar ji aaj sare kaan me tel dale soye hain jo is tarah jagnewale nahi, unhe jgaane ke liye inklab kafi nahi..........
    aapki rachna purnarup se deshprem se bhari hai..badhai

    ReplyDelete