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Tuesday, 21 February 2012

खाई





कल मन से मुलाकात हुई
मैंने पूछा तुम कैसे हो ?
मन घबराया और बोला -
तुम्हें नहीं मालूम क्या ?
प्रश्न अपेक्षित नहीं था मुझे
क्या जवाब दूँ मैं मन को
ओह ! आज पता चला की
मेरे और मन के बीच भी
एक खाई है सवालों की
मन बार-बार धकेलता है
गहरा और गहरा इसमें
हर बार आता है हाथ मेरे
एक जख्म जो दबा था कहीं
गहरे इस खाई में गहरी
मुझे बेधते प्रश्न क्रूर हैं
किसी बधिक के तीरों से
मैं तैरता रहता हूँ अथक
भावनाओं की लहरों पर
मन भँवर उठाता रहता है
कोई अस्त्र काम नहीं करता
कोई तरकीब नहीं चलती






कल कुछ समय विलग था
मैं अपने बेकाबू मन से
तब सोचा मैंने , ये खाई
कहाँ से उपजी है मेरी ?
मुझे लगता था कि मैं
कुछ विशेष हूँ शायद
कल कईयों से बात हुई
बहुत निराशा हुई मुझे
ये जानकार कि सब-
मुझ जैसे ही हैं यहाँ
अपनी अपनी खाई सहेजे
सब तिरोहित हैं यहाँ
अपनी प्रश्न लहरों पर
इसीलिए हर एक मूक है
बस मुखरित प्रश्न हैं
और गूंजती खाई है
सबकी अपने मन की






केदार नाथ "कादर"










सपनों का भारत







कल सपनों का भारत ढूँढ रहा था
वह कितना सुंदर स्वप्न था उनका
भूख और बेकारी से पूर्णतया मुक्त
वह तो केवल स्वप्न ही रह गया
उन्होंने तो कोई कमी न रखी थी
अपना लहू तक बहाया था, परन्तु
वे सोच का बीज न डाल पाए सही
आज की नई पीढ़ी अक्सर उनपर
फव्तियाँ कसती है , हँसती है
क्या पाया उन्होंने-इस लड़ाई में
किनको सौंप दी अपनी विरासत ?
उफ़ ! सब मांसखोर भेड़िये, रक्षक
क्या हो गया है इस तंत्र को
क्या यही उगलता है ये जनतंत्र
अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, असमानता
आक्रोश, विद्रोह और पतन
ओह! नहीं, ऐसा तो नहीं होता



जनतंत्र की बाड़.जन ही बनें
तभी भेडियों से हक बचेगा
देखो भेडियों की टोलियाँ
घूमती है चुनाव के मौसम में
सावधान रहना इनकी लपलपाती
खून सनी जीभ से मतदाताओ
तुम्हारा मत ही तुम्हारा हथियार
अगर नहीं जागे तो याद रखो
झंडा लपेटकर भी तुम शहीद नहीं
वरन आतंकवादी ही कहाओगे
हाँ, युद्ध करो खुद से पहले, तब
इन्हें दोष देना, इस व्यवस्था का
छेद बंद कर दो, लहू बहना बंद
स्वयं हो जायेगा इनके कटोरों में


आओ अब चलें चुनाव का दिन है
तिरंगा सजाओ अपने दिल में
देश को पहले रखो, खुद से
और फिर दबाओ बटन तुम
अपने और जन के नए भविष्य का
ताकि फिर कोई देश का बच्चा
हाथ में झंडा लिए जय हिंद लिखा
जयघोष नंगा होकर न करे
भूखा रहकर वन्देमातरम न कहे



केदारनाथ"कादर"

Wednesday, 15 February 2012

दूर के सवाल नजदीक से




आजकल चुनाव का माहौल है चारों ही ओर एक दुसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है. अलग अलग नौटंकी देखने को मिल रही है. हर पार्टी ने अपने अपने खोमचे सजा रखे हैं और हर एक वादों का मिष्ठान परोस रहा है. वादे भी बहुत सुहाने हैं इनके कुछ वादों पर नज़र डालें :



आजकल जबसे कांग्रेस के कपिल सिब्बल साहब ने आकाश नाम के टेबलेट की बात कर एकाएक भारत को हाईटेक बना दिया है. अब हर विद्यार्थी बस हाथ में टेबलेट लिए घूमता हुआ नज़र आ रहा सपने में. कीमत बहुत कम है.. हर एक को मिलेगा बस एक बार हाथ के निशान पर बटन दबा दो . प्रेरणा बड़ी चीज़ है...सो समाजवादियों ने भी ले ली. पहले वह कंप्यूटर का विरोध कर रहे थे लेकिन अब बहती गंगा में उन्होंने भी हाथ धो लेना ही मुनासिब समझा है. वैसे भारत के हर प्रान्त में लोग आशावादी हैं और आश्वासन की खेती यहाँ बिना खाद डाले ही होती है..पनपती है और फलती भी है. इसमें कोई ख़ास निवेश नहीं होता..केवल कुछ मीठे शब्द ..दूसरों की कमियाँ गिनाओ...आम आदमी नामक पशु से थोड़ी हमदर्दी दिखाओ और सत्ता पक्ष की बुराई करो और कुछ लुभावने नारे ...किराये के आदमियों से लगवाओ ...फिर बटन आपका और बटन दबाने वाला आप का गुलाम...



कभी सवाल करो की नेता जी आप ये पैसा कहाँ से लोगे ?..भाई जो पैसा आपके विकास के लिए आएगा उसमें से ही आपको बाँटेंगे न. तब फिर विकास को भूल जाओ . आपके बच्चों को स्कूल नहीं हैं..घरों में बिजली नहीं है..इन्टरनेट का किराया भरने को पैसा नहीं है..क्या करोगे कम्प्यूटर और लैपटाप का . आकाश भी एक बड़ा घोटाला साबित होगा...भविष्य तो यही दिखा रहा है..लेकिन भगवान् से यही विनय है की ऐसा न हो...इस आम आदमी नामक जंतु का एक मुंगेरी सपना सच कर दे. ये तो भूखा रहने का आदी हो ही चूका है सो भूखे पेट ही लैपटाप चला लेगा ..चाहे काला अक्षर भैंस बराबर हो. कपिल सिब्बल साहब को इस देश के बच्चों की बहुत फिकर है इसलिए शिक्षा पद्धति को बहुत बदल डाला गया है. अब आठवीं कक्षा तक कोई विद्यार्थी फेल नहीं होगा ..बोर्ड का एक्साम नहीं होगा..बच्चों की बल्ले बल्ले ...कोई बच्चा अब आत्म हत्या नहीं करेगा..कोई टेंसन नहीं होगी...सब गरीबों का एक ही बार में खत्म हो गया . न वह काबिल होगा न कभी नौकरी मांगेगा..बस बनकर रहेगा गुलाम इनकी औलादों का ....क्यूंकि इनके बच्चे तो बड़े स्कूलों में पढ़ते हैं न...वहां तो अधिकारियों की जमात होती है..नेताओं की फसल उगती है ....क्या कहें..मलाई होती है..आजकल उसे क्रीम कहते हैं. सो ये खिलौने तुम्हारे विकास के बीच बाँध ही बनेंगे . वैसे हर पार्टी को एक नयी परियोजना का सुझाव है..पूरे देश को शिक्षित करने का..सबको फ्री में डिग्रियां बाँट दो ग्रेजुएसन की.......एक ही झटके में देश साक्षर . जी हाँ मुझे मेरे बेटे ने बताया की 73 देशों की पुस्तक पढने और गणित प्रतियोगिता हुई थी और भारत के बच्चे पुस्तक पढने और गणित प्रतियोगिता में अंतिम स्थान पर थे..जय हो कपिल सिब्बल साहब.



विकास का लोलीपोप सब पार्टियाँ लाइन लगाकर दे रहीं है. सब कहते हैं विकास होगा ..अगर उनकी पार्टी को जीत हासिल हुई. लेकिन होगा क्या? अगर वे सत्ता में आये हैं और जिस क्षेत्र से उनका उम्मीदवार जीतकर नहीं आएगा ...वहाँ का विकास बंद ..बिजली बंद ..सडकें बदहाल..कोई सुविधा नहीं मिलेगी...हर फ़ाइल को लटका दिया जायेगा मंत्रालय में..यानी यातना आम आदमी को ही मिलेगी . कुछ तो दबंगई का शिकार भी होंगे ...भाई ये नेता भी कोई राजा से कम नहीं हैं...बस फर्क यही है की ये पांच साल के हैं..और तुम्हें राहत ये की ...नए नेता का सपना देखने का तुम्हारा अधिकार सुरक्षित है आखिर लोकतंत्र है भाई.....विश्व का सबसे बड़ा .....जन तंत्र ...जहाँ जन को तंत्र में उलझा कर ..घुटघुटकर मरने के लिए लिए शातिर नेता बाध्य करते हैं.....ईश्वर इनको प्लास्टिक के कीड़े पड़ें...हर आदमी यही दुआ मांगता है..चुनाव के कुछ समाय बाद .



वैसे सरकार बहुत जागरूक है ...अच्छे खासे मुनाफा देने वाले अनेक उद्योगों और कारखानों को विनिवेश के नाम पर...बड़े बड़े घरानों को बेच चुकी है..और बाकी बचे भी जल्द ही इनकी झोलियों में पहुँचने की तैयारी कर रहे हैं. सेज के नाम पर कितने ही आम आदमियों की जमीन कौड़ियों के भाव बेच दी और दलाली का पैसा भी विदेशों के बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है. सरकार को विकास नाम का भूत..चिराग में रखने का मंतर आता है भाई.

हो सके तो किसी नेता से ये पूछ लेना ...लेकिन याद रखना पैर में जूते न हों तुम्हारे ...जेब में कोई स्याही की बोतल न हो...हाथ में काला रूमाल भी नहीं होना चाहिए....वर्ना नेताजी के समर्थक तुम्हारा कल्याण कर देंगे......और हो सकता है तुम्हारे सूखे गाल ...लाल हो जायें ..या तुम्हें पता चले की तुम्हारे शारीर का विकास हो गया..एक हड्डी की दो बन गयीं ....haan जाने से पहले उनके नाम का जैजैकार जरुर करना..यही तो सीधी है मंच तक पहुँचने की .......



आज इतना ही ...आम आदमी के लिए कहूँगा..बाकी मरहम फिर लगाऊँगा ...तुम्हारे नए घावों पर

Friday, 10 February 2012

सूरज



बहुत दिनों बाद -

आज सूरज देख रहा हूँ
ये बात न समझना
घर से निकला न था
निकला था अक्सर बाहर
अंजान पगडंडियों पर
लेकिन उधर नहीं चला था
जहाँ केवल तुम थे-अकेले

बहुत गहरी थी मेरी
यादों की काली रात
बड़ी बड़ी खाईयां थीं
कुछ कठोर चट्टानें भी
जो उगी थी मौन से


कल मेरे मौन ने मुझसे
कहा था अकेले में ही -
मैं उसकी हत्या कर दूँ
संवाद का सेतु तान दूँ
प्रीत के आँगन तक
मन ने निर्णय कर लिया
देखो आज सवेरा हो गया
बहुत दिनों के बाद मैं
आज सूरज देख रहा हूँ






केदार नाथ "कादर"






पुनरावृत्ति नहीं समय की



पुनरावृत्ति नहीं समय की

मन बैल सम मत घूम
आजा भर ले आज तू
अपने मिलन की माँग
उठ जाग, ले गागर चल
छाए आँगन प्रीत घन
गाए पवन, महके सुमन
कहता है मन, अभी चल
हर ले अपनी हर दहन
              पुनरावृत्ति नहीं समय की
              मन बैल सम मत घूम

प्रिय खड़े मन द्वार पर
लेकर सुगढ़ कर माल
शीश क़दमों में झुकाकर
जीत ले मन प्राण
हो जा मूर्ख मन सरल
बह संग प्रिय अविरल
भर माँग माथे की
धर ध्यान की ज्योति
कर ले जीवन सफल


                पुनरावृत्ति नहीं समय की
                मन बैल सम मत घूम

केदार नाथ "कादर"


Tuesday, 7 February 2012



आदमी हूँ मैं


कभी लगता है खुद से अजनबी हूँ मैं
भीड़ में कोई बिछड़ा सा आदमी हूँ मैं

बहुत लोग दिखते हैं फरिश्तों की तरह
अजीब रोग है मुझको आदमी हूँ मैं

उम्मीद से रिश्ता है हारे हुओं का एक
है हाथ में तलवार वो आदमी हूँ मैं

लिखते और भी हैं धुंआ-धुंआ सा लोग
दिल में चिराग रौशन वो आदमी हूँ मैं

बम्ब हूँ जिसे जला सकते नहीं "कादर"
सोतों को जगाये जो वो आदमी हूँ मैं

केदारनाथ "कादर"







NETA






हमें नाराज़ भी होने का अब हक नहीं यारो

बेचा है जैसे खुद को इन्हें वोट देकर यारो
बिकती है प्याज, पेट्रोल, बियर एक दाम पर
पानी भी बिक रहा है दूध के दाम पर यारो

झंडा जलाना मंजूर है मगर उसे फहराना नहीं
कैसे अज़ब हालात से देश गुजर रहा मेरा यारो

खून अब खून कहाँ है जो गर है गैरों का
आज इंसान जानवर सा मर रहा है यारो

बस मुफलिसी ही हमारी किस्मत में क्यों है
"कादर" ये सवाल ओहदों पे बैठों पूछ लो यारो



केदारनाथ "कादर"