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Wednesday, 15 February 2012

दूर के सवाल नजदीक से




आजकल चुनाव का माहौल है चारों ही ओर एक दुसरे पर कीचड़ उछाला जा रहा है. अलग अलग नौटंकी देखने को मिल रही है. हर पार्टी ने अपने अपने खोमचे सजा रखे हैं और हर एक वादों का मिष्ठान परोस रहा है. वादे भी बहुत सुहाने हैं इनके कुछ वादों पर नज़र डालें :



आजकल जबसे कांग्रेस के कपिल सिब्बल साहब ने आकाश नाम के टेबलेट की बात कर एकाएक भारत को हाईटेक बना दिया है. अब हर विद्यार्थी बस हाथ में टेबलेट लिए घूमता हुआ नज़र आ रहा सपने में. कीमत बहुत कम है.. हर एक को मिलेगा बस एक बार हाथ के निशान पर बटन दबा दो . प्रेरणा बड़ी चीज़ है...सो समाजवादियों ने भी ले ली. पहले वह कंप्यूटर का विरोध कर रहे थे लेकिन अब बहती गंगा में उन्होंने भी हाथ धो लेना ही मुनासिब समझा है. वैसे भारत के हर प्रान्त में लोग आशावादी हैं और आश्वासन की खेती यहाँ बिना खाद डाले ही होती है..पनपती है और फलती भी है. इसमें कोई ख़ास निवेश नहीं होता..केवल कुछ मीठे शब्द ..दूसरों की कमियाँ गिनाओ...आम आदमी नामक पशु से थोड़ी हमदर्दी दिखाओ और सत्ता पक्ष की बुराई करो और कुछ लुभावने नारे ...किराये के आदमियों से लगवाओ ...फिर बटन आपका और बटन दबाने वाला आप का गुलाम...



कभी सवाल करो की नेता जी आप ये पैसा कहाँ से लोगे ?..भाई जो पैसा आपके विकास के लिए आएगा उसमें से ही आपको बाँटेंगे न. तब फिर विकास को भूल जाओ . आपके बच्चों को स्कूल नहीं हैं..घरों में बिजली नहीं है..इन्टरनेट का किराया भरने को पैसा नहीं है..क्या करोगे कम्प्यूटर और लैपटाप का . आकाश भी एक बड़ा घोटाला साबित होगा...भविष्य तो यही दिखा रहा है..लेकिन भगवान् से यही विनय है की ऐसा न हो...इस आम आदमी नामक जंतु का एक मुंगेरी सपना सच कर दे. ये तो भूखा रहने का आदी हो ही चूका है सो भूखे पेट ही लैपटाप चला लेगा ..चाहे काला अक्षर भैंस बराबर हो. कपिल सिब्बल साहब को इस देश के बच्चों की बहुत फिकर है इसलिए शिक्षा पद्धति को बहुत बदल डाला गया है. अब आठवीं कक्षा तक कोई विद्यार्थी फेल नहीं होगा ..बोर्ड का एक्साम नहीं होगा..बच्चों की बल्ले बल्ले ...कोई बच्चा अब आत्म हत्या नहीं करेगा..कोई टेंसन नहीं होगी...सब गरीबों का एक ही बार में खत्म हो गया . न वह काबिल होगा न कभी नौकरी मांगेगा..बस बनकर रहेगा गुलाम इनकी औलादों का ....क्यूंकि इनके बच्चे तो बड़े स्कूलों में पढ़ते हैं न...वहां तो अधिकारियों की जमात होती है..नेताओं की फसल उगती है ....क्या कहें..मलाई होती है..आजकल उसे क्रीम कहते हैं. सो ये खिलौने तुम्हारे विकास के बीच बाँध ही बनेंगे . वैसे हर पार्टी को एक नयी परियोजना का सुझाव है..पूरे देश को शिक्षित करने का..सबको फ्री में डिग्रियां बाँट दो ग्रेजुएसन की.......एक ही झटके में देश साक्षर . जी हाँ मुझे मेरे बेटे ने बताया की 73 देशों की पुस्तक पढने और गणित प्रतियोगिता हुई थी और भारत के बच्चे पुस्तक पढने और गणित प्रतियोगिता में अंतिम स्थान पर थे..जय हो कपिल सिब्बल साहब.



विकास का लोलीपोप सब पार्टियाँ लाइन लगाकर दे रहीं है. सब कहते हैं विकास होगा ..अगर उनकी पार्टी को जीत हासिल हुई. लेकिन होगा क्या? अगर वे सत्ता में आये हैं और जिस क्षेत्र से उनका उम्मीदवार जीतकर नहीं आएगा ...वहाँ का विकास बंद ..बिजली बंद ..सडकें बदहाल..कोई सुविधा नहीं मिलेगी...हर फ़ाइल को लटका दिया जायेगा मंत्रालय में..यानी यातना आम आदमी को ही मिलेगी . कुछ तो दबंगई का शिकार भी होंगे ...भाई ये नेता भी कोई राजा से कम नहीं हैं...बस फर्क यही है की ये पांच साल के हैं..और तुम्हें राहत ये की ...नए नेता का सपना देखने का तुम्हारा अधिकार सुरक्षित है आखिर लोकतंत्र है भाई.....विश्व का सबसे बड़ा .....जन तंत्र ...जहाँ जन को तंत्र में उलझा कर ..घुटघुटकर मरने के लिए लिए शातिर नेता बाध्य करते हैं.....ईश्वर इनको प्लास्टिक के कीड़े पड़ें...हर आदमी यही दुआ मांगता है..चुनाव के कुछ समाय बाद .



वैसे सरकार बहुत जागरूक है ...अच्छे खासे मुनाफा देने वाले अनेक उद्योगों और कारखानों को विनिवेश के नाम पर...बड़े बड़े घरानों को बेच चुकी है..और बाकी बचे भी जल्द ही इनकी झोलियों में पहुँचने की तैयारी कर रहे हैं. सेज के नाम पर कितने ही आम आदमियों की जमीन कौड़ियों के भाव बेच दी और दलाली का पैसा भी विदेशों के बैंकों की शोभा बढ़ा रहा है. सरकार को विकास नाम का भूत..चिराग में रखने का मंतर आता है भाई.

हो सके तो किसी नेता से ये पूछ लेना ...लेकिन याद रखना पैर में जूते न हों तुम्हारे ...जेब में कोई स्याही की बोतल न हो...हाथ में काला रूमाल भी नहीं होना चाहिए....वर्ना नेताजी के समर्थक तुम्हारा कल्याण कर देंगे......और हो सकता है तुम्हारे सूखे गाल ...लाल हो जायें ..या तुम्हें पता चले की तुम्हारे शारीर का विकास हो गया..एक हड्डी की दो बन गयीं ....haan जाने से पहले उनके नाम का जैजैकार जरुर करना..यही तो सीधी है मंच तक पहुँचने की .......



आज इतना ही ...आम आदमी के लिए कहूँगा..बाकी मरहम फिर लगाऊँगा ...तुम्हारे नए घावों पर

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