लिखो कोई नई इबारत
लिखो कोई नई इबारत अपने खून पसीने से चलो उखाड़ें कील अंग्रेजी भारत माँ के सीने से
निज भाषा के गौरव से क्यों तुम बोलो यारो कतराते हो उन्हीं फिरंगी चालों में क्यों फिर फिरकर फंस जाते हो
वह आजादी का शेष सवेरा
पीट रहा है कब से दर तेरा
काला झंडा यह अंग्रेजी का
कब हटेगा मुल्क के सीने से
लिखो कोई नई इबारत अपने खून पसीने से
चलो उखाड़ें कील अंग्रेजी भारत माँ के सीने से
अब भी भाषा और प्रांत में
क्यों देश बँटा अपना यारो
एकसूत्र में बांधे यह हिंदी
फिर क्यों द्रोह है हिंदी से
अभी है शेष सुशोभित होना
भारत माता की जिव्हा को
हम काहे पराई भाषा रटते
बाज आते नहीं तुतलाने से
लिखो कोई नई इबारत अपने खून पसीने से
चलो उखाड़ें कील अंग्रेजी भारत माँ के सीने से
निज भाषा में बात करो
ज्ञान निर्माण करो भाई
तुम क्यों मुख फिराते हो
निज देवभाषा सहोदरी से
आजादी का मूल मंत्र यह
निज भाषा में मनन करें
उद्गार भाव सकल अपने
हों सृजित हिंदी पुष्पों से
लिखो कोई नई इबारत अपने खून पसीने से
चलो उखाड़ें कील अंग्रेजी भारत माँ के सीने से
शब्द मसीहा
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