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Monday, 23 April 2012




एक भूखे की ताड़ में
ताक लगाये बैठे हैं 
एक घर के सामने
सूखे पेड़ पर कई
तेज़ नज़र गिद्ध
पैनी चोंच कौआ
मटमैली सी चीलें
आँगन में कुत्ता


सब इंतज़ार में हैं
भूखे की मौत की
ताकि भूख मिटे
इनकी भी कुछ 
शांत हो तांडव
सिकुड़ी आंतड़ियों का


कुत्ते ने पानी फैलाया
गिद्ध ने गर्दन दबाई
कौए ने आँख फोड़ी
चींटियों ने सभा बुलाई
चील जोर से चिल्लाई
आज हम नहीं मरेंगे


चिपका मांस खाया
चील और गिद्ध ने
कुत्ते ने चाबी हड्डियाँ
संस्कार के नाम पर
सामाजिक कार्यकर्ता
शाम भर पेट खायेंगे


अगले चुनावों में
स्थानीय नेता हमारे
आम आदमी हेतु
अपने संकल्प दोहराएंगे
आदमी की दुनियाँ में 
जंगल राज चलाएंगे


केदारनाथ"कादर"   

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