अजब शहर
दिल है, दर्द है, मगर प्यार नहीं है
हाथों में हाथ है पर एतबार नहीं है
हर एक है तैयार ताने हुए पत्थर
भीड़ में क्या कोई गुनाहगार नहीं है
कौन सुनता है दिल की सदा कहिये
व्यापार है वादों का , पर प्यार नहीं है
हम छोड़ भी दें शहर, न होगा विराना
इसे "कादर" इंसान की दरकार नहीं है
केदारनाथ "कादर"
हर एक है तैयार ताने हुए पत्थर
ReplyDeleteभीड़ में क्या कोई गुनाहगार नहीं है
कौन सुनता है दिल की सदा कहिये
व्यापार है वादों का , पर प्यार नहीं है
bahut khub....
jai hind jai bharat