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Friday, 29 July 2011


जागो




जागो ! जागो ! जागो !
जागो ! मेरे भाइयो जागो !


समय नहीं है सोने का
न चुपचाप यूँ रोने का
उठो ! दहाड़ के तुम
उठो ! चिंघाड़ के तुम
सिंहासन सोने वालों का
झकझोर कर हिला दो
जागो ! जागो ! जागो !
जागो ! मेरे भाइयो जागो !


लाठी से न डरना तुम
मौत से न डरना तुम
हो जाओ होशियार तुम
हो जाओ तैयार तुम
अत्याचारी व्यवस्था मिटा दो
चेतनासूर्य नया तुम उगा दो


उठो ! दहाड़ के तुम
उठो ! चिंघाड़ के तुम
सिंहासन सोने वालों का
झकझोर कर हिला दो


जागो ! जागो ! जागो !
जागो ! मेरे भाइयो जागो !

केदारनाथ "कादर"

1 comment:

  1. kafi sasakt rachna laikhi hai apne...
    jai hind jai bharat

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