आज
वक़्त बदलते देखा भैया मैंने आज
अब इमान पे भारी है रोटी की गाज
पहले इन्सान को था प्रेम पे अपने नाज़
फ़ैल गया है नफरत-स्वार्थ का अब राज़
बच्चे आतंक हैं खाते, नर खाते हैं लाज
रिश्तों की मंडी से सजा है सारा समाज
कच्ची कोखों में जहर भरा जा रहा आज
बेशर्मी का नाच है , तनिक नहीं है लाज
पेट वही है"कादर" सपने बड़े हो गए आज
कान वही हैं लेकिन बेसुरे हो गए सारे साज
वक़्त बदलते देखा भैया मैंने आज
अब इमान पे भारी है रोटी की गाज
पहले इन्सान को था प्रेम पे अपने नाज़
फ़ैल गया है नफरत-स्वार्थ का अब राज़
बच्चे आतंक हैं खाते, नर खाते हैं लाज
रिश्तों की मंडी से सजा है सारा समाज
कच्ची कोखों में जहर भरा जा रहा आज
बेशर्मी का नाच है , तनिक नहीं है लाज
पेट वही है"कादर" सपने बड़े हो गए आज
कान वही हैं लेकिन बेसुरे हो गए सारे साज
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ReplyDeleteYou touch the core!!
ReplyDeleteKuldeep