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Friday, 26 April 2013

बहुत जरुरी है अब हमारे युवाओं के लिए

बहुत जरुरी है अब हमारे युवाओं के लिए


दिल, जिगर, फेफड़ों की कैद से निकलना

जुल्फ, रुखसार, पिस्तान से अलग सोचना

सिर्फ शायरी इन्ही पर नहीं होती मेरे दोस्त

खुदा ने बक्शी हैं दो आँखें हर आदमी को

एक आँख से दुनिया को देखो मेरे दोस्त

अपने शब्दों में इसे भी कहो तब देखना तुम

तुम्हें खुद पर प्यार आ जायेगा मेरे दोस्त

तुम्हारी सोच के पंख फैलाकर उड़ो जरा

तौलो तो जरा तुम कहाँ हो इंसानियत में





केदारनाथ "कादर"

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