केदार नाथ शब्द मसीहा
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Friday, 26 April 2013
पेट की भूख तक नहीं सिमित, उनकी दाढे बड़ी मक्कार हैं " कादर"
पेट भर खाकर उनकी अक्सर, जिस्म की हैवान भूख जाग जाती है
केदारनाथ "कादर"
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