वो मेरी मुफलिसी को देखकर रो दिए ,
मुझसे नहीं पैसे से मुहब्बत थी शायद,
मेरे घर में अभी भी मेरी माँ रहती है ,
मेरी मुहब्बत का यकीन कैसे हो "कादर"
केदारनाथ "कादर"
मुझसे नहीं पैसे से मुहब्बत थी शायद,
मेरे घर में अभी भी मेरी माँ रहती है ,
मेरी मुहब्बत का यकीन कैसे हो "कादर"
केदारनाथ "कादर"
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