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Tuesday, 19 March 2013

नौजवान

नौजवानों ने अज़ब सा देखो उजाला कर दिया

सूखे दीयों में तेल उम्मीद का दुबारा भर दिया

जिन घरों में पसरा था मातम का साया ग़ज़ब
अपनी हिम्मत से हँसी का एक पौधा धर दिया

अब जमाना मेहनत का है सबको सिखाया यही
नौजवाँ इस सोच ने सब कुछ निराला कर दिया

अब समझ आई है आजादी सुभाष आजाद की
हारी हुई हर सोच को हमने हिमाला कर दिया

मंदिर-ओ-मस्जिद का नहीं अब कोई झगडा बचा
जमजम-ओ-गंगाजल हमने एक प्याला कर दिया

हम हैं कायल शान्ति के पर न खद्दर पर यकीन
झूठ के दरिया को अब हमने नाला कर दिया

अब न कोई लूट पाए अपनी मेहनत का धन
अपना मुकद्दर "कादर" हाथों के हवाले कर दिया



केदारनाथ "कादर"



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