" विद्वान बुद्धिजीवी बहुत हैं देश के लिए मगर अब क्रांतिवीरों की जरुरत है "
बहुत से लेख रोज़ ही पढता हूँ.घडियाली आंसुओं से भरे. डिक्सनरी से मतलब खोजना पड़े ऐसे भारी शब्दों से सजे हुए. अनेक बड़े मंचों से भाषण भी सुने हैं.लेकिन अब मुझे लगता है की हम सब बे आवाज़ हो चुके है. हमें हमारी वास्तविक दशा का पता ही नहीं है. आइये एक चुटकुला साँझा करता हूँ पर याद रखिये अगर आपके पास दिल है तो आप हँस नहीं पाएंगे ...खैर फिर भी सुनाता हूँ .
एक पत्नी ने अपने पति से कहा - जानते हैं जी हमारे भारत देश के जाने माने उद्योगपति श्रीमान मुकेश अम्बानी ने अपनी पत्नी को ४०० करोड़ की एक बड़ी नाव गिफ्ट की है.
पति- हाँ जनता हूँ, पर मुझसे ये उम्मीद मत रखो , मैं तो एक आम आदमी हूँ और मेरी कमाई तो २० रुपये रोज़ है. हाँ इतना जरुर जानता हूँ कि अगर मैं तुम्हें ये खरीदकर देना चाहूं भी तो करीब ५४७९४५ दिन भूखे रहकर बिताने होंगे .
हा ..हा..हा.. कहा था न नहीं हँस पाओगे.
देश का अधिकांस पैसा चंदलोगों के हाथों में है. सब जानते हैं. उन्हें और अमीर बनाने के लिए हम अपना पैसा उन्हें देते हैं देश कि सरकार उन्हें और अमीर बनाने में मदद करती है. अब तो नयी बात भी सामने आई हैं कि ये तो सरकार को बनाने में भी मदद करते हैं. कौन सा आदमी कौनसे विभाग का मंत्री बनेगा ये बड़े लोग ही तो तय करते हैं. तो देश किसका इन खून चूसने वालों का न . हम तुम तो कीड़े कीदेश के लोगों को तरह पैदा होते हैं कस्बों, गावों में बजबजाते फिरते हैं और मर जाते हैं.
हाँ तुम्हें एक गर्व कि बात और बताता हूँ हमारा देश बहुत उन्नति कर रहा है एशिया में दुसरे नंबर का भ्रष्ट देश है और जल्द ही हमारी सरकार, नेता और उद्योगपति अपनी मेहनत से इसे पहले नंबर पर पहुंचा देंगे.
अरे ! एक बात और सुनो, सरकार kaladhan इकठ्ठा करके विदेशों में रखने वालों के नाम बताना चाहती है, बहुत ईमानदार कोशिश पिछले कई सालों से जारी है. अब पता चला है की एक बड़ी रकम गायब हो चुकी है.
अरी बाबड़ी छोड़ ये बातें वो सूखी रोटी ले आ जो भिगो कर रखी थी दोपहर को ...खा लूं ...मुझे साहुकार के यहाँ चौकीदारी के लिए भी तो जाना है.
No comments:
Post a Comment