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Tuesday, 4 September 2012

Prarthana

हे!प्रभु करो करम मिले शांति परम
मेरे जीवन धारण का यही बनें धर्म

कण कण में तेरा सब पाएं दर्शन
समझे सब देह धरण का पवित्र धर्म

सब नेह रखें संसार में एक दूजे से
करें सब जग में पालन भ्रात्री धर्म

मानव का धर्म धरा पर केवल है प्रेम
सब मन से निभाएं ये प्रेम धर्म

यहाँ कोई गैर नहीं सब अपने हैं
मानव हेतु यही सबसे ये बड़ा धर्म

रखो, सूर्य, हवा, जल सम तुम मन
रहे मन में न बैर यही युग का धर्म

"कादर " प्रभु से विनय कर जोर
सभी थाम चलें डोर बढे प्रेम धर्म


केदारनाथ "कादर"

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