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Wednesday, 29 August 2012

स्वांस स्वांस परिवर्तन होता, रूप बदलता तेरा

पग पग पर घेरा मौत का, कहता है मन मेरा

कितनी पोथी पढ़ी समझ में केवल इतना आया
है जो नहीं पर दीखे, माया माने है मन मेरा

केवल रूप बदल जाता, शास्वत कुछ न भाई
आत्मा संग करो सगाई, ये कहता है मन मेरा

कितने जन्म के बिछड़े हैं, नहीं स्मरण है भाई
यही समय है काज सजा लो, कहता है मन मेरा

सीधा किया, पर सीधा नहीं, तुम भी जानो भाई
उलट के देखो अंतर में, यही कहता है मन मेरा

अब न बना तो फिर न बनेगा, व्यर्थ जीवन पाना
साधो संग सतगुरु का प्राणी, कहता है मन मेरा

पाकर जुगत जुगाड़ बिठा , ये जगत सरायखाना
खुद को खोकर पाओगे "कादर" कहता मन मेरा



केदारनाथ "कादर"

1 comment:

  1. सीधा किया, पर सीधा नहीं, तुम भी जानो भाई
    उलट के देखो अंतर में, यही कहता है मन मेरा

    bahut sundar Adaraniy Kedar Ji !

    JAY HO ! SHUBH HO !

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