हम भटके हैं आस लिए, जाने किस मंजिल की,
कितने हैं बेखबर हम सारे, खबर नहीं है पल की
सब आयोजन ये अपने, हैं भटकन केवल मन की
बाज़ समय का कब चुग जाये सांसें इस जीवन की
भूख जानते हैं तन की , बिसराई बातें मन की
द्रोह किया खुद से पग-पग, राह चुनी बीहड़ की
जो बोया सो हम काट ही लेंगे, ये खेती कर्मों की
दीपमाथ जगाओ, बुझने से पहले ज्योति जीवन की
मंगल वचन स्मरण कर, करो बातें चिर जीवन की
पल केवल अभी बचा "कादर" त्यागो बातें कल की
केदारनाथ "कादर" ( १९.०१.२०१२)
कितने हैं बेखबर हम सारे, खबर नहीं है पल की
सब आयोजन ये अपने, हैं भटकन केवल मन की
बाज़ समय का कब चुग जाये सांसें इस जीवन की
भूख जानते हैं तन की , बिसराई बातें मन की
द्रोह किया खुद से पग-पग, राह चुनी बीहड़ की
जो बोया सो हम काट ही लेंगे, ये खेती कर्मों की
दीपमाथ जगाओ, बुझने से पहले ज्योति जीवन की
मंगल वचन स्मरण कर, करो बातें चिर जीवन की
पल केवल अभी बचा "कादर" त्यागो बातें कल की
केदारनाथ "कादर" ( १९.०१.२०१२)