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Sunday 9 March 2014

माचिस


झीने से कपड़ों में संवेदना 
डर जैसी ही मालूम होती है 
हर आदमी इसे सहेजता है 
पर चोरी से आँखें हमारी 
या फिर लड़खडाती जुबान 
उठा ही देती है ...पर्दा 
सच से होते बालात्कार का 
नीचा  हो जाता है सिर 
टपक पड़ता है ...पैरों में खुद के 
और हम सम्हालने के लिए 
लगाते हैं झूठ का सीमेंट 

मैंने  सुना है सफ़ेद सीमेंट 
बहुत मजबूत होता है 
ओह ! इसीलिए बड़े लोगों के घर 
सफ़ेद पत्थर और सीमेंट से बनते हैं 
सफ़ेद गाड़ियों में चलते हैं 
सफ़ेद कपडे पहनते हैं 
सफेदपोश लोग कहाते हैं 

सच एक बम्ब होता है 
बस जरुरत है ...शब्दों के पलीते की
ताकि सच फ़ैल सके विस्फोट संग 
दूर दूर तक ..हर बस्ती में 
झूठ के जंगलों को जलाते हुए 
हाथ जोड़ता हूँ यारो ..माचिस हो जाओ 

शब्द मसीहा 





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