आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
अविरल प्रेम बहे जीवन में
मत्स्य सरीखी खुशियाँ तैरें
कमल सुशोभित हों मनांगन
सुंदर वरदान ऐसा मैं मांगूं
देह तेरी चन्दन हो जाये
सांसों में सौरभ भर जाये
दन्त पंक्ति चमकें सदैव ये
हँसे सदा आँखों की प्याली
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
शोक कभी न मन में आये
द्वेष कभी न पाँव जमाये
कभी विरह की छाँव न हो
ऐसा सुंदर वरदान मैं मांगूं
गीत सदा अधरों पर साजें
आँगन में पायल धुन गाजें
सदा सुबुद्धि संग विराजे
श्रद्धा का वरदान मैं मांगूं
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
जीवन संध्या तक अपना
मधुमास निर्बाध चले यह
मोह - तृष्णा उगे कभी न
मोक्ष सजाती साँझ ढले हर
जीवनलक्ष्य सभी सध जायें
सांसें सब सार्थक हो जायें
देहधारण का काज सजे सब
मंगलमय हो जीवन पाली
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
केदारनाथ "कादर"
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
अविरल प्रेम बहे जीवन में
मत्स्य सरीखी खुशियाँ तैरें
कमल सुशोभित हों मनांगन
सुंदर वरदान ऐसा मैं मांगूं
देह तेरी चन्दन हो जाये
सांसों में सौरभ भर जाये
दन्त पंक्ति चमकें सदैव ये
हँसे सदा आँखों की प्याली
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
शोक कभी न मन में आये
द्वेष कभी न पाँव जमाये
कभी विरह की छाँव न हो
ऐसा सुंदर वरदान मैं मांगूं
गीत सदा अधरों पर साजें
आँगन में पायल धुन गाजें
सदा सुबुद्धि संग विराजे
श्रद्धा का वरदान मैं मांगूं
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
जीवन संध्या तक अपना
मधुमास निर्बाध चले यह
मोह - तृष्णा उगे कभी न
मोक्ष सजाती साँझ ढले हर
जीवनलक्ष्य सभी सध जायें
सांसें सब सार्थक हो जायें
देहधारण का काज सजे सब
मंगलमय हो जीवन पाली
आओ सखी तुम तीर गंग के , हाथों में ले अर्चन की थाली
पूजा कर वरदान मैं मांगूं , सजाऊँ मांग में सूर्य की लाली
केदारनाथ "कादर"
No comments:
Post a Comment