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Friday 18 September 2015

स्कर्ट

स्कर्ट ===बस ठसाठस भरी हुई थी। मोना और अमनजीत दोनों ही बहुत असहज महसूस कर रहीं थी, जो भी निकलता पूरा बदन छू कर निकलता । मन ही मन वे बहुत गालियां भी दे रही थी। कार को आज ही खराब होना था। अपनी दुर्गति तो ऐसे ही हो गयी।तभी किसी ने अमनजीत के कमर पर हाथ फिराते हुए चिकोटी काट ली। अमनजीत "कौन है " कहकर पीछे मुड़ी , एक लड़का अपना मुंह फेरकर हंस रहा था। अब अमन की जगह मोना ने ले ली , लड़के ने दोबारा वही हरकत दोहराई। मोना झट से पलटी और उसका हाथ पकड़ कर उसके दो तीन रसीद कर दिए। बस में कोहराम खड़ा हो गया। लड़का गिड़गिड़ा उठा। किसी तरह वह अपने स्टाप तक पहुंची।
अमनजीत ने कहा - मोना ! मैंने तो पूरे कपडे पहने थे लेकिन उस लड़के ने मुझे क्यों छेड़ा ?
यार ! तुम भी न जाने किस दुनिया में रहती हो , ये साले पूरे कपडे पहनने पर बहिन जी तो कहने से रहे बल्कि उसकी शर्म का फायदा उठाते हैं। मुझे देखो मैं स्कर्ट और टाइट टॉप पहनती हूँ दूर से ही मॉडर्न दिखती हूँ, किसी की हिम्मत नहीं होती कि मुझे कोई छेड़े क्योंकि मनचलों को मालूम है , छेड़ा तो पड़ी सैंडिल सर पर ....... हा हा हा.
याने कि अपने को बचाने के लिए अब मुझे भी थोड़ा नंगा होना ही पडेगा। अजीब है इस शहर की सोच।
शब्द मसीहा

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