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Friday 18 September 2015

ठप्पे

ठप्पे
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दो दोस्त दारु के नशे में कोठे की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए ऊपर पहुंचे। इत्र की खुशबू और गानों की आवाज आ रही थी। बाई ने लड़कियाँ पेश की। दोनों ने लड़कियों पर निगाह डाली और अपने-अपने लिए लडकियां चुन ली।
बाई की तरफ देखते हुए पूछा - हम नशे में लेकिन हमारे साथ धोखा मत करना , हम अपने धर्म की लड़कियों से ऐसा गलत काम नहीं कर सकते।
ये कोठा है साहब ! यहाँ का धर्म सिर्फ जिस्म होता है और ऊपर वाले जिस्म पर धर्म के ठप्पे नहीं लगाए । धर्म खरीदना है तो कहीं और जाओ।
शब्द मसीहा

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