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Friday 18 September 2015

संकल्प

संकल्प
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हर रोज की चिकचिक और झगडे से बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा था . बच्चे बाप को देखकर सहम जाते थे . हर रात माँ बाबा का झगड़ा पक्का था .
रवि हर बार यही दलील देता कि उसका काम ऐसा है कि उसे देर तक काम करना पड़ता है और थकान उतारने के लिए थोड़ी पीकर आना कौन सी बुरी बात है .
उसने बच्चों को खाना खिलाकर सुला दिया था और मेज पर शराब की बोतल और गिलास सजा दिये थे . आज उसने सोच लिया था कि वह अपनी थकान रवि के सामने ही उतारेगी .
रवि के आते ही उसने दरवाजा खोला और बड़े ही प्यार से उसका बैग हाथ से लेकर उसका कोट उतारा . रवि आज भौचक था इस व्यवहार पर .
मेज पर दो गिलास शराब से भरे और हाथ पकड़कर मेज तक रवि को ले गई . अपने हाथ से गिलास रवि के हाथों में दिया और चियर्स कहकर अपना गिलास उठा लिया . रवि एकदम हैरान था
उसने बीबी के हाथ से गिलास झटक दिया और तड़ाक से एक थप्पड़ गाल पर रसीद कर दिया .
क्यों ? मुझे थकान नहीं उतारने दोगे मैं सुबह पांच बजे उठती हूँ और अब रात के ग्यारह बज रहे हैं . इसके बाद तुम्हें अपनी मनमानी भी करनी है मेरे साथ . अब मैं बहुत थक गई हूँ रवि ,मुझे भी पीने दो आज से मैं भीी तुम्हारी तरह जीना चाहती हूँ .
रवि के पास कोई जबाब नहीं था मगर एक संकल्प था जो उसकी आँखों से बहते आँसू लिख रहे थे बीबी को बांहों में भरे हुए .
शब्द मसीहा

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