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Monday 6 October 2014

हतभाग

हुआ हतभाग...... मित्र को
शब्दों से जब देना पड़ा जवाब
शब्द को जाना ..सुलगा हुआ
हुआ निज मन में बहु संताप

खड़े हैं प्रश्न उठाये शस्त्र
शब्द ही ठहरे आखिर अस्त्र
मूल में रहा है वार कुठार
नहीं क्यों संयम का प्रताप

सुमन में अग्नि दीप जले
न जाने कितने घाव खिले
न जाने कितना नीर बहा
रुका न मन का मगर विलाप

मौन में क्यों कोलाहल है
चेतना क्यों यह चंचल है
प्रश्न आये नहीं लेकिन
भीरुमन करता कई प्रलाप

काँप जाता है क्यों विश्वास
ह्रदय क्यों है होता नि:स्वांस
शब्द को जाना ..सुलगा हुआ
गीत नहीं लेता है आलाप

शब्द मसीहा

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