Total Pageviews

Sunday 22 April 2012




मेरे नन्हे मसीहा प्यारे
मैं तुझ पे वारी जाती हूँ
तेरा एहसान है मुझपर
तू बन के हाथ आया है


मेरा  जो फ़र्ज़ था माँ का
नन्हे वो तूने निभाया है 
निवाला मैं खिलाती तुझे
वो मुझे तूने खिलाया है


तेरा एहसान है माँ पर
ये तेरा रिश्ता निराला है
मेरे भी भाग्य अच्छे थे
फ़रिश्ता मैंने पाया है


केदारनाथ"कादर"

No comments:

Post a Comment