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Wednesday 1 December 2010

बाबा

बाबा निराश नहीं है अभी

क्या हुआ आश्रम टूटा

छते गिर गयी हैं न

सामान टूट गया है, बस

पर फिर भी बहुत है अभी

मेरे प्रति बची श्रद्धा उनकी

चलो करते हैं फिर शुरू

कल से अपना व्यापार

केदारनाथ "कादर"

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