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Wednesday 15 September 2010

मछलीमार

जब जगना के साथ रमिया

अफसर बाबू के दफ्तर गयी थी

तब रमिया का चेरा ढँका हुआ था

जगना को बाबू ने "हाँ" कह दिया था

जगना को मछली पालन के लिए

सरकारी अनुदान की दरकार थी

बाबू ने रमिया को घूरते हुए कहा था

मछलियों की बदबू आती है तुमसे

कई चक्कर लगाने के बाद ही

उन्नत मछली बीज मिलना तय हुआ

रामियाँ के बार बार बाबू से मिलने पर

अफसर बाबू को मछली बास भा गयी

गरीब रमिया बाबू के बिसतर पे

और तालाब में मछलियाँ आ गयीं

अब अफसर बाबू मछलीमार हैं

मछलियाँ शासन की शिकार हैं

केदार नाथ "कादर"

http://kedarrcftkj.blogspot.com

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