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Monday 9 August 2010

ओ मेरे मन मोहना

ओ मेरे मन मोहना
तेरे चरणों में आ बैठा
जमाना रूठा सारा , जी हाँ
कहे मोहे झूठा, जो खुद झूठा
ओ मेरे मन मोहना

हर कोई पूछे, क्या हुआ ?
क्या कहूँ, कोई समझेगा क्या?
तुझे देखा, खुद को पाया मैंने
थी लगन, आज गौना हुआ
ओ मेरे मन मोहना

मेरे प्यार को झूठा कहें
जो नहीं हैं दीवाने तेरे
तेरी नज़रों से नज़रें मिलीं
मेरा मैं, तुझमें खो गया
ओ मेरे मन मोहना

तेरी नज़रों में खोकर ही
मुझे मेरा ठिकाना मिला
जब से तेरा दीवाना हुआ
मुझे जग ही दीवाना लगा
ओ मेरे मन मोहना
केदारनाथ"कादर"
kedarrcftkj.blogspot .com

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