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Sunday 27 June 2010

"अंगुलिमाल"

चुनाव जीतने के बाद ही
जनता जान पाई- तातश्री
तुम्हारी वास्तविक औकात
तुम्हारी हवस की लम्बाई
जो हजारों गुना ज्यादा है
तुम्हारे पेट की गहराई से
और लाखों गुना बड़ी है
तुम्हारी खद्दरी जेब से
तुम पिस्सू से चिपके
सत्ता के स्तनों पर
आज दिखे हैं सचमुच
तुम्हारे-भेडिये से नुकीले दांत
तुम सत्ता के लिए हर सफाई
कर देना चाहते हो - चाटकर
खून की एक एक बूंद आदमी से
जिससे आदमी के अस्तित्व पर
आ गया है एक संकट
मगर तुम नेता हो , ठीक है
तुम्हारी ये सोच की
आदमी रहे न रहे जिन्दा
सरकार फिर बने इसलिए
अंगूठों की एक विशाल माला
तुम्हे जीतने को चाहिए

केदारनाथ "कादर"
kedarrcftkj.blogspot.com

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